वक़्त को ठहरा पति तो उसी पल ठहरा देतीजब उसकी नज़रे मेरे चेहरे को निहार रही थीं ।
ज़ारा
वो अलग बात है की इश्क़ नहीं उनकोअगर होता तो बात ही कुछ और होती।
मैं राही हुँ उस राह की जिससे कोई वाकिफ नहीं होना चाहता ।
आज हवाओ में कुछ अलग सी बात है लगता है वो आज यही से गुज़रा था।
मुमकिन तो बोहोत कुछ नहीं था पर देख ज़िंदा हु मै ।
दिल जीतना कोई उनसे सीखे बेशक वो किरदार बेहतरीन निभाया करते हैं ।
ऐसी होगी मेरी सुबह-ओ-शाम कभी सोचा थाकी तेरे ज़िक्र से भी उलझन होगी कभी सोचा ना था
मुझ पे भी है लाखों फ़िदा पर क्या करें दिल के साथ खेलना तेरा पेशा है मेरा नहीं ।